CIBIL Score Rule: सिबिल स्कोर को लेकर रिजर्व बैंक ने बनाए 5 नए नियम, 1 तारीख से लागू आम लोगों की क्रेडिट योग्यता यानी सिबिल स्कोर (CIBIL Score) का हमारे वित्तीय जीवन में बहुत अहम स्थान है। यह स्कोर तय करता है कि कोई व्यक्ति बैंक से लोन ले सकता है या नहीं, और अगर ले सकता है तो किन शर्तों पर। लेकिन हाल ही में भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस व्यवस्था में बड़े बदलाव करते हुए सिबिल स्कोर को लेकर 5 नए नियमों की घोषणा की है, जो 1 तारीख से पूरे देश में लागू हो चुके हैं। इन नियमों का मकसद पारदर्शिता बढ़ाना, उपभोक्ताओं को अधिक अधिकार देना और क्रेडिट सिस्टम को बेहतर बनाना है।
सिबिल स्कोर क्या है और क्यों होता है महत्वपूर्ण?
सिबिल स्कोर एक 3-अंकों का अंक होता है जो आपकी क्रेडिट हिस्ट्री, लोन रिपेमेंट, क्रेडिट कार्ड के भुगतान आदि के आधार पर तय किया जाता है। यह स्कोर 300 से 900 के बीच होता है, और जितना अधिक स्कोर होगा, आपकी लोन लेने की संभावना उतनी ही बेहतर होती है। बैंकों, NBFCs और अन्य वित्तीय संस्थानों द्वारा लोन देने से पहले इस स्कोर को देखा जाता है। इसलिए यह जरूरी हो गया है कि लोगों को इस स्कोर की जानकारी समय रहते और पारदर्शी ढंग से मिले।
रिजर्व बैंक द्वारा लाए गए 5 नए नियम क्या हैं?
भारतीय रिजर्व बैंक ने CIBIL और अन्य क्रेडिट ब्यूरो की कार्यप्रणाली को पारदर्शी और उपभोक्ता-हितैषी बनाने के लिए 5 नए नियम लागू किए हैं। ये नियम निम्न प्रकार हैं:
1. रिपोर्ट में गलती होने पर जल्द समाधान
अब यदि किसी व्यक्ति की क्रेडिट रिपोर्ट में कोई गलती होती है, तो संबंधित क्रेडिट ब्यूरो को उसे 21 दिनों के भीतर सुधारना होगा। पहले यह प्रक्रिया काफी लंबी और जटिल थी, जिससे उपभोक्ता को परेशानी होती थी। लेकिन अब नियामक निर्देश के अनुसार किसी भी विवाद या गलती को तेजी से निपटाना अनिवार्य कर दिया गया है।
2. क्रेडिट रिपोर्ट में ‘रीजन कोड’ जोड़ना होगा
नई व्यवस्था के तहत, जब भी किसी उपभोक्ता की क्रेडिट रिपोर्ट में नकारात्मक प्रविष्टि (जैसे लोन डिफॉल्ट या देर से भुगतान) होगी, उसमें ‘रीजन कोड’ यानी उसका कारण भी स्पष्ट रूप से दर्ज करना होगा। इससे ग्राहक को यह जानने में आसानी होगी कि स्कोर किस कारण से घटा है और उसे कैसे सुधार सकते हैं।
3. उपभोक्ताओं को मिलेगा फ्री रिपोर्ट अलर्ट
रिजर्व बैंक ने यह भी निर्देश दिया है कि सभी क्रेडिट ब्यूरो साल में एक बार उपभोक्ताओं को मुफ्त में उनकी क्रेडिट रिपोर्ट और स्कोर उपलब्ध कराएं। साथ ही, जैसे ही स्कोर में कोई बदलाव होगा, उपभोक्ताओं को ईमेल या SMS के माध्यम से जानकारी देना जरूरी होगा। इससे ग्राहकों को अपने स्कोर पर लगातार निगरानी रखने में मदद मिलेगी।
4. शिकायतों का रिकॉर्ड रखना अनिवार्य
अब क्रेडिट ब्यूरो को सभी शिकायतों का डिजिटल रिकॉर्ड रखना अनिवार्य कर दिया गया है। साथ ही, शिकायत मिलने के बाद 48 घंटे के भीतर acknowledgment देना होगा और 21 दिनों के भीतर उसका समाधान प्रस्तुत करना होगा। यह नियम उपभोक्ताओं की सुरक्षा और न्याय की प्रक्रिया को सशक्त करता है।
5. ग्राहकों की सहमति जरूरी होगी
रिजर्व बैंक के नए नियमों के मुताबिक कोई भी बैंक, NBFC या संस्था किसी ग्राहक की क्रेडिट रिपोर्ट तभी एक्सेस कर सकेगी जब वह ग्राहक से स्पष्ट अनुमति प्राप्त करेगी। पहले कई बार देखा गया कि बिना ग्राहक की जानकारी के उसकी रिपोर्ट एक्सेस की जाती थी, जिससे निजता का उल्लंघन होता था। अब यह पूरी तरह से नियंत्रित होगा।
इन नए नियमों का असर आम लोगों पर
इन बदलावों से आम नागरिकों को सबसे बड़ा फायदा पारदर्शिता और अधिकारों के रूप में मिलेगा। अब वे अपनी क्रेडिट रिपोर्ट पर निगरानी रख सकेंगे, त्रुटियों को जल्द सुधार सकेंगे और अपनी क्रेडिट योग्यता को बढ़ा सकेंगे। साथ ही, बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर भी निगरानी बढ़ेगी, जिससे बिना अनुमति स्कोर देखने या गलत जानकारी डालने जैसे मामलों पर रोक लगेगी।
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क्रेडिट स्कोर सुधारने के सुझाव
यदि आपका स्कोर कम है, तो आप इन तरीकों से उसे सुधार सकते हैं:
- समय पर लोन और क्रेडिट कार्ड भुगतान करें
- एक साथ कई लोन के लिए आवेदन न करें
- पुराने लोन या क्रेडिट कार्ड को समय पर बंद करें
- क्रेडिट लिमिट का अत्यधिक उपयोग न करें
- नियमित रूप से अपनी क्रेडिट रिपोर्ट की जांच करते रहें
निष्कर्ष
भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा लाए गए ये 5 नए नियम उपभोक्ताओं को उनके क्रेडिट स्कोर को लेकर जागरूक और सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। इससे न केवल वित्तीय प्रणाली में पारदर्शिता आएगी, बल्कि ग्राहकों की शिकायतों का निपटारा भी समय पर होगा। अब समय है कि आप भी अपने सिबिल स्कोर पर ध्यान देना शुरू करें और इन नियमों का लाभ उठाकर अपने वित्तीय भविष्य को मजबूत बनाएं।
डिस्क्लेमर
यह लेख केवल जानकारी देने के उद्देश्य से लिखा गया है। कृपया किसी भी वित्तीय निर्णय से पहले अधिकृत स्त्रोत या वित्तीय सलाहकार से परामर्श अवश्य लें।